Actions Against Gangesters : Action on gangsters is the need of the hour

गैंगस्टरों पर कार्रवाई वक्त की मांग

Actions Against Gangesters

Action on gangsters is the need of the hour

Actions Against Gangesters

देश में पिछले कुछ समय से गैंगस्टरों और आतंकियों के गठजोड़ और उनकी वारदातों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पंजाब मेें गैंगस्टरों ने जिस प्रकार से निर्दोष लोगों की हत्याएं की हैं और देशभर में लोगों को धमकियां देकर अपनी दहशत कायम की है, उसके बाद यह जरूरी है कि ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई हो। राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने अब ऐसे गैंगस्टरों एवं अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है तो यह वक्त की मांग है। एनआईए ने दिल्ली एनसीआर, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा समेत 50 जगह छापे मारे हैं। इस संबंध में एनआईए काफी समय से सक्रिय थी। एनआईए का कहना है कि अपराधियों के गिरोह आम जनता में भय बनाने के लिए लक्षित हत्याओं को अंजाम दे रहे थे। आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए गिरोह ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के जरिये फंड भी जुटा रहे थे। भारत और विदेश में गिरोह की मदद कर रहे लोगों की पहचान कर ली गई है। उनके खिलाफ मामले भी दर्ज किए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या और बॉलीवुड स्टार सलमान खान को जान की धमकी मिलने के बाद गैंगस्टरों की चर्चा और उनकी करतूतों को लेकर सरकारें एवं पुलिस ज्यादा सजग हुई हैं। सिद्धू मूसेवाला की हत्या में संलिप्त सभी आरोपी पकड़े जा चुके हैं या फिर मारे जा चुके हैं। यह पंजाब पुलिस पर भारी दबाव के बाद सामने आया है कि ऐसे गैंगस्टरों पर सख्त कार्रवाई हो। पंजाब पुलिस की ओर से खुद ऐसे आरोपियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया गया है। वास्तव में अपराधी किसी एक राज्य या क्षेत्र तक सीमित रहेंगे और जहां वारदात करेंगे वहीं की पुलिस की जिम्मेदारी उनके खिलाफ कार्रवाई की होगी, ऐसा नहीं है। अपराधी आज पूरे समाज के दुश्मन बन चुके हैं। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने अभिनेता सलमान खान और उनके परिवार को मारने की धमकी सिर्फ इसलिए दी क्योंकि सलमान खान काले हिरण को मारने के आरोपी हैं और बिश्नोई समाज काले हिरण की पूजा करता है। ऐसे में बतौर बिश्नोई आरोपी लॉरेंस यह अपनी जिम्मेदारी समझता है कि वह अभिनेता और उसके परिवार को सबक सीखाए। क्या इसे कानूनी तौर पर  जायज माना जा सकता है? सलमान खान के खिलाफ पहले ही अदालत में सुनवाई जारी है, अदालत को इसका निर्णय करना है कि उनके साथ किया जाए। लेकिन लॉरेंस बिश्नोई जैसे सिरफिरे, उपद्रवी जोकि समाज विरोधी कार्यों में लगे हैं, का आचरण स्वीकार्य नहीं हो सकता। आज गैंगस्टरों के खिलाफ अगर कार्रवाई हो रही है तो इसका आधार केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय ने ही तैयार करके दिया है। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, एनएसए अजीत डोभाल और आईबी प्रमुख की बैठक में इन गिरोहों को जड़ से खत्म करने की सहमति बनी थी।

सामने आ रहा है कि गैंगस्टरों के वजूद को सामने लाने वाले भी नेता ही हैं। पंजाब जैसे संवेदनशील राज्य में जहां एक युवा कॉलेज और यूनिवर्सिटी में जाकर छात्र राजनीति में उपद्रव, हिंसा और गुंडागर्दी का पाठ सीखते हुए गैंगस्टर बन जाता है तो यह अपने आप में एक सवाल है। पंजाब में तमाम ऐसे नाम हैं, जोकि एक समय यूनिवर्सिटी में पढऩे आए थे, लेकिन फिर न जाने क्यों उनका रुख अपराध की तरफ हो गया और वे राजनेताओं के इशारे पर चलने लगे। पंजाब में नशाखोरी और तस्करी बहुत बड़ी समस्या है, लेकिन यह भी सच है कि इस समस्या के जनक राज्य के राजनेता ही माने जाते हैं। सत्ता प्राप्ति और फिर इसे कायम रखने की उनकी ललक ऐसे युवाओं को मोहरा बनाती है जोकि कम समय में पैसा और प्रभाव चाहते होते हैं। छोटे-छोटे अपराधों से आगे बढ़ते हुए यही युवा गैंगस्टर बनते हैं। हालांकि बाद में ये इतना रास्ता पार कर चुके होते हैं कि फिर उनके वापस लौटने का कोई अवसर नहीं रहता। यही वजह है कि पिछले दिनों पंजाब में हुए सिद्धू मूसेवाला के हत्यारों के एनकाउंटर के बाद एक गैंगस्टर के शव को उसके परिवार ने लेने से मना कर दिया था। ऐसा ही हरियाणा में भी सामने आ रहा है। यहां उन परिवारों ने जिनका वास्ता ऐसे गैंगस्टरों से मिल रहा है, ने खुद को उनसे अलग दिखाया है। बेशक, यह भी जांच का विषय हो सकता है।

एनआईए की जांच में सामने आ रहा है कि अपराधी शिक्षित बेरोजगार युवाओं को अपने गिरोह में शामिल करते हैं। यह सारे गिरोह हाईटेक हैं और इंटरनेट व अन्य तकनीक से काम को गोपनीय तरीके से अंजाम देते हैं। खास बात यह है कि पंजाब और हरियाणा के ये गिरोह अब पूरे देश में नेटवर्क बना रहे हैं। इनके कुछ सदस्य विदेश में भी अपराध को अंजाम दे रहे हैं। देश की बाह्य और आंतरिक सुरक्षा को कायम रखने के लिए रात-दिन काम हो रहा है। लेकिन अब आंतरिक सुरक्षा को जिस प्रकार बढ़ाया गया है, वह काबिले तारीफ है। केंद्रीय जांच एजेंसियों को लगातार मजबूत किया जाना भी समय की मांग है। ईडी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए उसकी शक्तियों को जायज ठहराया। अब केंद्र सरकार ने एनआईए को भी और ताकतवर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। ऐसी रिपोर्ट है, जिसमें सरकार चाहती है कि एनआईए गैंगस्टरों के खिलाफ आतंकवादियों जैसा रुख अपनाए।

केंद्र चाहता है कि एनआईए पूरे भारत में जांच करे और जहां आवश्यक हो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जाए। एजेंसी को भारत में गैंगस्टरों की आतंकी गतिविधियों, नशीली दवाओं की तस्करी और हथियारों की आपूर्ति को कवर करने के लिए कहा गया है। वास्तव में राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक अपराध, साइबर क्राइम, महिलाओं-बच्चों के प्रति अपराध, नशे की रोकथाम जैसे अपराधों की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसियों की सक्रियता जहां जरूरी है वहीं उन्हें सभी राज्यों में समर्थन की भी दरकार है। प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई के खिलाफ जिस प्रकार कुछ राज्यों ने घेराबंदी की है, वह अनुचित है वहीं पंजाब में भी बीएसएफ का जांच दायरा बढ़ाए जाने का विरोध हुआ है जोकि समझ से परे की बात नजर आती है। देश की आंतरिक सुरक्षा सर्वोपरि है, यह बात सभी को समझने की आवश्यकता है।